ग्वालियर। 20वें उद्भव उत्सव में चौथे दिन देशभर के विभिन्न शहरों से आए छात्र-छात्राओं ने अपनी बेजोड़ कला का प्रदर्शन कर कला रसिकों को भाव विभोर कर दिया। उद्भव उत्सव आज देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भारतीय कला और संस्कृति को पहुंचाने में सशक्त भूमिका निभा रहा है। कला और संस्कृति का अद्भुत संगम के साथ आईआईटीटीएम सभागार में अपना दमखम दिखाने में छात्र-छात्राओं ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बैंड की ध्वनि से पूरा सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा जिसमें पहला स्थान डीपीएस-गुडगाँव का रहा व दूसरे स्थान पर ग्रीनवुडपब्लिक स्कूल, ग्वालियर का बैंड रहा।
समापन समारोह/ गाला नाइट
चार दिवसीय 20वे उद्भव उत्सव के समापन व गाला नाइट का शुभारंभ मुख्य अतिथि विनय सहस्त्रबुद्धे अध्यक्ष आईसीसीआर, विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री म प्र शासन नारायण सिंह कुशवाहा, पदमश्री सम्मानित हसन रघु जी की गरिमामय उपस्थिति व श्रीधर पराडक़र की अध्यक्षता में अयोजित हुआ। इस अवसर पर जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलपति राजकुमार आचार्य, राजमाता विजयाराजे सिधिया कृषि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अजय कुशवाह, उद्भव संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडेय, सचिव दीपक तोमर और ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर किरण भदौरिया, पूर्व कार्यपरिषद सदस्य, जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदीप शर्मा मंचासीन रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की मूर्ति पर पुष्प हार अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित के साथ किया। स्वागत भाषण उद्भव के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडेय ने दिया। उन्होंने कहा कि ग्वालियर के नाम जो नृत्य व कला से जुड़ा है, उसे आगे बढ़ाने का कार्य उद्भव द्वारा किया जा रहा है। सचिव दीपक तोमर ने चार दिन से चल रहा कार्यक्रम व संस्था की गतिविधियों के बारें में बताया। अतिथियों को मोमेंटो प्रदान किए गये इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री सहस्त्र बुद्धे ने अपनी लिखित पुस्तक ‘ *कनेक्ट टू कल्चर’* उद्भव को भेंट की।

मुख्य अतिथि श्री सहस्त्र बुद्धे ने अपने उद्बोधन में उद्भव को भारतीय संस्कृति को बढ़ाने वाले कलाकारों की यात्रा को सार्थक बनाने का माध्यम बताया। मध्य प्रदेश की भीम बेटिका में बनी नृत्य व कला चित्रों से भारतीय नृत्य के इतिहास के बारे में बताया। दूसरे देश से आए प्रतिभागियों को हमारी संस्कृति की जानकारी देते हूए, कहा कि चार वेदों में से एक सामवेद पूरा नृत्य, गायन पर आधारित है जिसमें नृत्य कला का गहराई से वर्णन है। सरस्वती के हाथ में वीणा, शिव के हाथ में डमरू, कृष्ण की बांसुरी व अन्य हिन्दू देवी देवताओं का उदाहरण देते हुए नृत्य व संगीत को अध्यात्म और ईश्वर की स्तुति व उनके संगीत कला के प्रति प्रेम की बात कही। आगे उन्होंने पारम्परिक नृत्य कला को न समझना, युवाओं का सोशल मीडिया पर पश्चिम की ओर आकर्षण व स्वदेशी कला में मिलावट वर्तमान की तीन प्रमुख चुनौती बताया। बिना सरकारी अनुदान के इतना भव्य आयोजन के लिए उद्भव व पूरी टीम धन्यवाद के पात्र है जिनके अथक प्रयास से आज उदभव ने देश दुनिया में गवालियर का परचम लहराया। पद्मश्री हसन रघु ने कहा कि गुरू मंत्र से उद्बोधन की शुरुआत की जिसमें उन्होंने अपने शुरुआती जीवन और वर्तमान में उनके द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण संस्थान के बारे में बताया.के लिए ग्वालियर के बाद मैसूर में उद्भव के आयोजन की इच्छा व्यक्त की। विशिष्ट अतिथि नारायण सिंह कुशवाहा ने प्रतिभागियों का भारतीय संस्कृति का विस्तार करने के प्रयासों की सराहना की।
नोट:- गाला नाइट में विजेताओं के परिणाम रात में प्रेषित किए जाएंगे
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