🚨 सोशल मीडिया बैन, नेताओं के बच्चों की शाही जिंदगी पर गुस्सा
काठमांडू |
नेपाल इन दिनों बड़े Gen-Z आंदोलन से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में युवाओं ने सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन शुरू कर दिया है। अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं।
👉 इस विरोध की खास बात यह है कि इसे किसी राजनीतिक दल ने नहीं, बल्कि Gen-Z (1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) के युवाओं ने शुरू किया है।
📌 क्यों भड़का आंदोलन?
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सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया।
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युवाओं का कहना है कि वे इन्हीं प्लेटफॉर्म्स पर पले-बढ़े हैं और यह उनकी आवाज छीनने जैसा है।
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प्रदर्शन में छात्र-छात्राएं स्कूल-कॉलेज यूनिफॉर्म में बैनर लेकर सड़कों पर उतरे।
🚫 सोशल मीडिया बैन की वजह
सरकार का कहना है कि –
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फर्जी अकाउंट और अफवाहें समाज में नफरत फैला रहे थे।
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कंपनियों को नेपाल में लोकल ऑफिस, प्रतिनिधि और डेटा-शेयरिंग जैसी शर्तें माननी थीं।
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छोटी यूजर बेस की वजह से Meta और Google जैसी कंपनियां इन शर्तों को मानने से पीछे हट गईं।

💥 ‘Nepo Kid’ ट्रेंड से नाराजगी
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हाल के महीनों में नेताओं के बच्चों की महंगी कारों, विदेश शिक्षा और ब्रांडेड लाइफस्टाइल वाले वीडियो वायरल हुए।
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नेपाल की सालाना प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 1300 डॉलर है, ऐसे में ये तस्वीरें युवाओं के गुस्से की बड़ी वजह बनीं।
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खासकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा और प्रचंड के परिवारों को निशाना बनाया गया।
🌍 क्यों कहा जा रहा है ‘Gen-Z आंदोलन’?
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क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा 18–25 साल के युवा शामिल हैं।
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ये किसी पार्टी से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया बंद और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए हैं।
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इसे नेपाल की नई पीढ़ी की बगावत कहा जा रहा है।
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