ग्वालियर | धर्म डेस्क | 4 जुलाई 2025 आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 का पावन समापन आज शुक्रवार, 4 जुलाई को नवमी तिथि के साथ हो रहा है। नौ दिवसीय इस साधना पर्व के अंतिम दिन विशेष पूजा, हवन, कन्या पूजन और दुर्गा आराधना का विशेष महत्व होता है। जो साधक पूरे नौ दिनों तक व्रत या पूजन नहीं कर सके, उनके लिए अष्टमी और नवमी दोनों दिन अत्यंत फलदायी माने गए हैं। मान्यता है कि इन दो तिथियों पर श्रद्धा से की गई पूजा से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है और साधक को पूरे नवरात्रि जितना पुण्य फल मिलता है। नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:07 से 04:48 तक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:58 से 12:53 तक गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:22 से 07:42 तक पूजन विधि संक्षेप में: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, गंगाजल का प्रयोग करें। लाल या पीले वस्त्र धारण करें, मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लाल पुष्प, फल, मिठाई, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। देवी की प्रतिमा के साथ गणेश जी की भी स्थापना करें। मंत्र जाप करें – ॐ दुं दुर्गायै नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे (कम से कम 108 बार)। दुर्गा चालीसा, सप्तश्लोकी दुर्गा या सप्तशती का पाठ करें। हवन सामग्री से दुर्गा हवन करें। नौ कन्याओं को आमंत्रित कर पूजन करें, पैर धोकर बैठाएं और उन्हें हलवा-पूड़ी-चना भोजन कराएं, उपहार दें। कलश स्थापना की हो तो आज उसका विसर्जन करें। धार्मिक मान्यता: गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना, विशेष देवी उपासना और आत्मिक उन्नति के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। यह पर्व साधकों के लिए सिद्धि, समृद्धि और रक्षा का मार्ग खोलता है। विशेष जानकारी: कहा जाता है कि नवमी तिथि को श्रद्धा से किए गए पूजा-पाठ से देवी प्रसन्न होकर साधक को विशेष रूप से आशीर्वाद देती हैं। मां दुर्गा की कृपा से जीवन में धन, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।
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